सड़क नापते सेहत ढूँढ़े
खान-पान, खुशहाली।
डिस्को, उत्सव रिश्ते खोजे
मंदिर शेरावाली।
रंग बिरंगे फल, तरकारी
उम्दा खान व्यवस्था।
सभी उपकरण टनाटन्न हैं
कोई उमर अवस्था।
भाँति-भाँति के चौराहों पर
स्वाद करें कव्वाली।
प्रेम-प्रीति अपनापन पाने
को साँकल खटकाए।
द्वार-द्वार, घर-बार, पड़ोसी
सभी में मन भटकाए।
भागे एअर जेट बने सब
धर ताले रखवाली।
जाने किस-किस खोज में
अटका-भटका पड़ा मुसाफिर।
भरम हमेशा सही-गलत का
लेकर जीता काफिर।
हेरे पड़ा किताबी शिक्षा
ठाने, अड़ा बवाली।
मंदिर, मस्जिद अर्जी डाले
दिल के भीतर ताला।
कंकरीट के जंगल नाचे
पर्यावरण उजाला।
ईश, देव से तुर्रेबाजी
करता रहा मवाली।